भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर विशेष
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आज देश की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान देनेवाले महान शख्सियत भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती है। “मिसाइल मैन” और “पीपुल्स प्रेसिडेंट” डॉ. कलाम ने वैज्ञानिक के तौर पर भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच खड़ा किया बल्कि 11 वें राष्ट्रपति के रूप में देश को सशक्त नेतृत्व भी दिया। देश में आधुनिक तकनीक के विस्तार और विश्व में भारत की सहभागिता बढ़ाने में कलाम साहब की सर्वाधिक भूमिका रही। भारत को अंतरिक्ष तक पहुंचाने और बैटालिक मिसाइलों से संपन्न राष्ट्र बनाने उनका योगदान भारतवासी कभी भूल नहीं सकते। उनके विचार आज भी करोडों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
डॉ. एपीजे कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तामिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ। जानकार बताते हैं कि डॉ. कलाम कुरान और श्रीमद्भागवत गीता का अध्ययन करते थे। उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य भारत को विश्व की महाशक्ति बनाने की रही। वे चाहते थे कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका बढ़े। पोखरण में दूसरे परमाणु के सफल परीक्षण ने डॉ. कलाम को मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध कर दिया। बतौर वैज्ञानिक उनकी अगुवाई में भारत ‘पृथ्वी’, ‘अग्नि’, ‘नाग’, ‘ब्रम्होस’,सहित अन्य मिसाइलों से लैस राष्ट्र बना। डॉ. कलाम 18 जुलाई 2002 को 11वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गये। 25 जुलाई 2002 को उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। उनका कार्यकाल 25 जुलाई 2007 तक रहा। अंतिम दिनों में भी डॉ. कलाम शिक्षा और तकनीकी क्षेत्र में काम करते रहे। 27 जुलाई 2015 को शिलॉन्ग स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान में एक व्याख्यान के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
डॉ. कलाम के लिए धर्म, समुदाय, जाति, वर्ग मायने नहीं रखते थे। वे आजीवन मानवतावादी सिद्धांतों और सर्वधर्म समभाव के विचारों पर कायम रहे। भारत रत्न अब्दुल कलाम ने ‘विंग्स ऑफ फायर’ और कई बेहतरीन किताबें लिखी हैं। कई प्रसिद्ध लेखकों ने भी कलाम साहब की जीवनी और उनके विचारों को अपनी कलम से लिपिबद्ध किया है। डॉ. अब्दुल कलाम को देश के सर्वोच्च सम्मान’ भारत रत्न’ सहित अनेकों सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। कहना गलत नहीं होगा कि भारत में तकनीक के क्षेत्र में करियर बनाने और देश सेवा में जुटे युवाओं के सबसे बड़े प्रेरणास्रोत डॉ. अब्दुल कलाम ही हैं।