‘मलेरिया’ का इलाज और इससे बचाव के उपायTreatment and prevention of malaria

विश्व मलेरिया दिवस पर विशेष

Dr. NISHA SOREN
Ph.D Nursing, M.Sc Nursing (obstetrics and gynaecological Nursing)

मलेरिया! भारत में वर्षों से अपनी जड़ जमाये हुए हैं। इस बीमारी ने अब तक न जानें कितने लोगों की जान ले ली हैं। विज्ञान के क्षेत्र में कई अभूतपूर्व उपलब्धियों और कई बड़े आयाम तय करने के बावजूद हम आज भी मलेरिया की रोकथाम के लिए संघर्ष कर हैं। जागरूकता और सजगता की कमी इस बीमारी के रोकथाम में एक बड़ी अड़चन है। आईए आज ‘विश्व मलेरिया दिवस’ पर खबर सेल के इस विशेष लेख में मलेरिया के विषय में जानते हैं। 

प्लाज़्मोडियम परजीवी है वजह

मादा एनोफेलीज मच्छर के काटने पर प्लाज़्मोडियम परजीवी की वजह से मलेरिया होता है। इस बिमारी में रोगी को सर्दी और सिरदर्द के साथ बार-बार बुखार आता है। इसमें बुखार कभी कम हो जाता है तो कभी दुबारा आ जाता है। गंभीर मामलों में रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। इसके प्रारंभिक लक्षण फ्लू की तरह हैं। इसमें ठंड के साथ बुखार, सिर दर्द, उल्टी आना शामिल है। साथ ही मांस पेशियों में दर्द और दस्त  लक्षण भी दिख सकते हैं।  सबसे गंभीर प्रकार के मलेरिया का कारण प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी है। अगर इसका शीघ्र उपचार ना हो, तो इससे आपके जीवन पर गंभीर परिणाम पड़ सकते हैं, जैसे कि साँस लेने की समस्या और अंगों का काम नहीं करना। इसके कारण एनीमिया, सेरेब्रल मलेरिया (मस्तिष्क क्षति), बहुत कम रक्त शर्करा भी हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप कोमा हो सकता है या मृत्यु भी हो सकती है।

कैसे होता है मलेरिया

यह प्लाज्मोडियम परजीवी मुख्य रूप से मादा एनोफिल्स मच्छरों के काटने के कारण फैलता है, जो मुख्यतः शाम और रात को काटते हैं। केवल एनोफिलीज मच्छर मलेरिया ट्रांसमिट कर सकते हैं और वह भी तभी जब वह पहले से ही मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति के रक्त से संक्रमित हुए हों। यदि आप पहले से संक्रमित हैं और आपको एनोफेलीज मच्छर (Anopheles mosquito) काटता है तो उसमें मलेरिया के परजीवी चले जाते हैं। यदि वह मच्छर किसी पीड़ित व्यक्ति को काटने के बाद तुरंत किसी दूसरे को काटता है तो वह मलेरिया परजीवी का संचरण उसके शरीर में हो जाता है। जब मलेरिया परजीवी उसके लिवर में प्रवेश कर जाता है तो वह एक वर्ष तक उसके लिवर में रह सकता है। जब परजीवी परिपक्व होते हैं तो वे लिवर को छोड़ देते हैं और उसकी लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं। क्योंकि मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं, इसलिए लोग इन्फेक्टेड रक्त के संपर्क में आकर भी पीड़ित हो सकते हैं। यह संक्रामक बीमारी नहीं है।

मलेरिया परजीवी के मुख्यतः पांच प्रकार हैं-
प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum),

प्लाज्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax),

प्लाज्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale),

प्लाज्मोडियम मलेरिया (Plasmodium malariae),

प्लास्मोडियम नाउलेसी (Plasmodium knowlesi)

क्या है इलाज

मलेरिया के इलाज में ऐंटिमलेरियल ड्रग्स और लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए दवाएं, बुखार को नियंत्रित करने के लिए दवाएं, ऐंटिसीज़र दवाएं, तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स शामिल होते हैं। इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं का प्रकार रोग की गंभीरता और क्लोरोक्विन (chloroquine) प्रतिरोध की संभावना पर निर्भर करता है।  इलाज के लिए उपलब्ध दवाओं में क्विनीन, मेफ्लोक्विन, डॉक्सीसाइक्लिन शामिल हैं।

 बचाव और सावधानियां

इस बीमारी में बचाव का सबसे अच्छा तरीका है मच्छरों को पनपने और काटने से रोकना। घर और आसपास कहीं भी जलजमाव न होने दें। सोने समय मच्छरदानी का उपयोग करें संभव हो तो कीट रिपेलेंट परमेथ्रिन के साथ मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। ऐसे कपडे पहनें जो आपके शरीर के अधिकांश भाग को ढक सके। डीईईट या पिकारिडिन युक्त कीट से बचाने वाली क्रीम का प्रयोग करें, ये त्वचा पर सीधे लगाईं जाती है (आपके मुंह और आंखों को छोड़कर)।  कपड़ों पर परमेथ्रिन लगाएं। वर्तमान में मलेरिया से सुरक्षा प्रदान कराने वाली कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, इसलिए आपको रोग होने की संभावना को कम करने के लिए एंटीमलेरियल दवा लेनी चाहिए। मलेरिया का परीक्षण रक्त के सैंपल से ब्लड स्मीयर (blood smear) तैयार किया जाता है। यदि पहले ब्लड स्मीयर में परजीवी की उपस्थिति नहीं दिखती है, लेकिन आपके डॉक्टर को संदेह है, तो आपको अगले 36 घंटों तक हर 8 से 12 घंटे में दोबारा परीक्षण कराना चाहिए। इलाज के दौरान, रक्त में परजीवी की संख्या कम हो रही है या नहीं डॉक्टर इसकी जांच करते हैं।

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70 वर्षों पहले हुआ मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत

भारत सरकार ने 1953 में राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें डीडीटी के अवशिष्ट छिड़काव पर ध्यान केंद्रित किया गया था। 1977 में पुनः राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की संशोधित योजना लागू की गयी । इस योजना के अंतर्गत रोगियों की खोज के अतिरिक्त निश्चित मापदंड पर छिड़काव की व्यवस्था है ताकि इस बीमारी से एक भी व्यक्ति की मृत्यु न हो। यह कार्यक्रम भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा प्रदत 50:50 के अनुदान के आधार पर चलाया जाता है । पूरे भारत से  बिमारी का खात्मा हो सके इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्ष 2027 तक का लक्ष्य रखा है।

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