बड़कागांव: यूनाईटेड कोल वर्कर्स यूनियन के बरका-सयाल, अरगड्डा, केन्द्रीय कर्मशाला बरकाकाना, केन्द्रीय अस्पताल नईसराय का 12 वां क्षेत्रीय सम्मेलन उरीमारी चेकपोस्ट स्थित यूनियन कार्यालय में शनिवार को आयोजित किया गया। सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेन्द्र कुमार, विशिष्ट अतिथि लखनलाल महतो, अशोक यादव उपस्थित थे। सम्मेलन का शुभारंभ अरगड्डा के क्षेत्रीय सचिव सुशील सिन्हा के द्वारा ध्वजारोहण कर एवं शहीद बेदी पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। सम्मेलन में तीन सदस्यीय अध्यक्ष मंडली में क्षेत्रीय अध्यक्ष कन्हैया सिंह, सदानंद सिंह, लखेन्द्र राय शामिल थे।
मौके पर मुख्य अतिथि एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेन्द्र कुमार ने कहा कि देश में आउटसोर्सिंग माइंस दिनों दिन बढ़ रहा है और कोल इंडिया में मजदूरों की संख्या घट रही है। बीजेपी सरकार निजीकरण की ओर देश को धकेलता जा रहा है और अगर यही स्थिति बनी रही तो वह समय दूर नहीं है जब मजदूरों को उनका हक और अधिकार भी नहीं मिलेगा। अगर देश और संविधान को बचाना है तो अपनी एकजुटता बनाए रखना होगा और 2024 के चुनाव में भाजपा को बुरी तरह से पराजित कर अपनी एकता का लोहा मनवाना है। उन्होंने कहा कि देश के 146 सांसदों को निलंबित किया जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। संसद में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है जहां जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को निलंबित कर दिया जा रहा है और इनकी गलती सिर्फ इतनी है कि इन लोगों ने सरकार से संसद की सुरक्षा में हुए चूक पर जवाब मांगा था।
वहीं लखन लाल महतो ने कहा कि संसद में विपक्ष की जरूरत नहीं है। महंगाई, बेरोजगारी, अडानी और अंबानी के खिलाफ चर्चा नहीं हो। आयें दिन देश की संपत्ति बेची जारी है उसे पर चर्चा नहीं हो। इसके लिए मोदी सरकार हर हथकंडा अपना रही है। अगर 2024 में भी इसे रोका नहीं गया तो निश्चित रूप से आने वाला समय कोयला मजदूरों के लिए बहुत ही कठिनाइयां भरा होगा। संविधान और देश को बचाने के लिए हमलोगों को अभी से तैयारी करनी होगी। आने वाला दिन कठिन है कोलियरियों को अगर नहीं बचा सके तो आने वाले समय में मजदूरों का सबसे ज्यादा शोषण होगा। ऐसा नहीं है कि ट्रेड यूनियन आंदोलन नहीं कर रहा है लेकिन वह संगठित रूप में आंदोलन नहीं हो पा रहा है जिसकी वजह से सरकार अपनी मनमानी कर रही है
सम्मेलन के दौरान क्षेत्रीय सचिव विंध्याचल बेदिया के द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। जिसे बहस के बाद सर्वसम्मति से पास किया गया। तत्पश्चात क्षेत्रीय कमेटी को भंग करते हुए नई कमेटी का पुनर्गठन किया गया। जिसमें 51 सदस्यीय कमेटी बनायी गई। जिसमें अध्यक्ष कन्हैया सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष विकास कुमार, सचिव विंध्याचल बेदिया, उपाध्यक्ष लखेन्द्र राय, महादेव मांझी, सुभाष यादव, सुदेश प्रसाद, ओमप्रकाश सिंह, सहायक सचिव सुशील कुमार सिन्हा, नरेश मंडल, सदानंद प्रसाद सिंह, ललित नारायण राय, वरुण कुमार, कोषाध्यक्ष जेपीएन सिन्हा, कार्यकारिणी सदस्यों में संतोष कुमार, अशोक राम, अनुज कुमार, भोला यादव, सुरेश प्रसाद मेहता, एनपी सिंह, राजीव सिन्हा, पीके कुंदन, अरविंद कुमार, दशरथ उरांव, परशुराम पंडित, राजेंद्र साव, अमजद, पूजा देवी, दशरथ प्रसाद मेहता, वीरेंद्र पासवान, राजू खतरी, विनोद कुमार मिश्रा, उपेंद्र राम, कमलेश यादव, सिकंदर अली, एस एन ए जाफरी, धीरज कुमार पासी, विजय कुमार, मंगरु महतो, घनश्याम महतो, गोपाल बेदिया, ज्योति मोहन वर्मा, मनराज, लव कुमार, रवि शंकर, प्रभु मांझी, मोती यादव, नंदकिशोर करमाली, रविंद्र बैठा शामिल हैं। समापन भाषण एटक के स्टेट जनरल सेक्रेटरी अशोक यादव ने दिया।
मौके पर मुख्य रूप से रामटहल पासवान, दशरथ उरांव, तबरेज खान, कमलेश यादव, कामेश्वर कुमार यादव, रामजन्म राम, मनोज राम, चंद्रदेव राम, सुरेंद्र भगत, सुखलाल साव, बाल गोविंद प्रसाद मेहता, सरिता देवी, सीमा देवी, प्रदीप कुमार शर्मा, विशेश्वर प्रसाद, नवीन कुमार राणा, मनोज करमाली, लक्ष्मीकांत शर्मा, मोकिम अंसारी, जुगल साव, अजय कुमार, भोला प्रसाद, धनंजय कुमार सिंह, संतोष कुमार, दिनेश मुंडा, आनंद कुमार सिंह, सतीश कुमार सिंह, निशांत सिंह, संतोष कुमार प्रजापति, गुप्तेश्वर कुमार, काजल कुमार हलदर, नीतीश कुमार यादव, प्रमोद कुमार, अनूप कुमार, रंजीत कुमार, मोती यादव, नंदकिशोर करमाली, गोविंद महतो, मनोज पांडे, भुवनेश्वर प्रजापति, रामप्यारे साव, सागर सातबर, रामप्रवेश राम, उस्मान अंसारी, विनोद राय, नीरज श्रीवास्तव, गंगाधर सिंह, मनोज दुबे, रामप्रवेश प्रसाद, अनिल राजभर, कामेश्वर प्रसाद, जगदीश प्रसाद सहित कई लोग मौजूद थे।