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पपीता विटामिन्स और कई पोषक तत्वों से भरा एक बेहतरीन फल है। चिकित्सक भी अच्छे स्वास्थ्य के लिए पके पपीते के सेवन की सलाह देते हैं। इसकी खेती आय का एक बेहतर माध्यम भी बन सकती है। थोड़ी जानकारी और परिश्रम से पपीते की फसल से लाखों रूपये की आमदनी की जा सकती है। पपीते के एक वृक्ष से 50 से 75 किलोग्राम उपज प्राप्त होती है और एक हेक्टेयर जमीन पर 2500 पौधे लगाकर अच्छी कमाई की जा सकती है। बाजार में पके हुए पपीते की डिमांड हमेशा रहती है।
थोड़े परिश्रम से करें पपीते की बेहतर खेती:
पपीते का पौधा अमूमन छह माह से फसल देना शुरू कर देता है और एक पौधे से दो वर्ष तक अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है। पपीते की खेती लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। अप्रैल और जून माह के बीच का समय बीज से पौधा तैयार करने का उत्तम समय होता है। पौधा तैयार करने के लिए बीज को तीन सेंटीमीटर की दूरी और एक सेंटीमीटर की गहराई में बुआई करनी चाहिए। बीज बुआई के बाद फव्वारें से नियमित सिंचाई करनी चाहिए। एक हेक्टेयर बुआई में 250-300 ग्राम बीज से लगभग 50 दिनों में पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। एक हेक्टेयर में 2500 से 3000 पौधों की रोपाई बेहतर मानी जाती है। अगस्त-सितंबर और फरवरी-मार्च पौधरोपण के लिए अनुकूल समय होता है। गर्मियों में पांच दिन और शर्दियों में 10 से 12 दिन के अंतराल पर पौधों सिंचाई करनी चाहिए।
इन बातों पर रहे ध्यान:
ज्यादा नमी और जलजमाव वाली भूमि फसल को नुकसान पहुंचा सकती है। फसल को पाला और तेज धूप से बचाने की जरूरत होती है। वहीं पपीते की फसल में मोजेक रोग, कुंचन रोग सहित कई रोग फैलने की संभावना रहती हैं। जिनका समय पर प्रबंधन और उपचार जरूरी है। इन बिमारियों से फसल को बचाने के लिए बाजार में दवा और कीटनाशक आसानी से उपलब्ध हैं।