ईद मुबारक!

प्राचार्य, भारत भारती विद्यालय, उरीमारी
ईद-उल-फितर इस्लामी के दसवें महीने शव्वाल का पहला दिन होता है। रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखने के बाद अंतिम दिन नया चांद देखकर ईद-उल-फितर का त्योहार मनाते हैं। लोग मस्जिदों में ईद की नमाज पढ़ते है और एक दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद भी देते हैं। आपस के बैर-भाव भूल सभी ईद की खुशी एक-दूसरे बांटकर मनाते हैं। आज के दिन जकात (दान) करते हैं। बड़े अपने से छोटों को ईदी (उपहार) भी देते हैं। घरों में सेवईयां और कई पारंपरिक पकवान भी बनाये जाते है।
ईद-उल-फितर पर्व मनाने के पीछे कई मान्यता है जिसमें एक मान्यता यह भी है कि जंग-ए-बदर में जीत के बाद मुहम्मद साहब द्वारा यह पर्व मनाया गया। माना जाता है कि मुहम्मद साहब के नेतृत्व में एक बड़ी सेना को हराकर जीत हासिल होने की खुशी में पहली बार ईद-उल-फितर का पर्व मनाया गया।
ईद एकता और अमन का संदेश देता है। यह अल्लाह की इबादत और उनकी नेमतों के शुक्रिया अदा करने का दिन है।
आइए! आपसी भाईचारे और सौहार्द के हम सभी ईद की खुशी में शामिल होकर इसका जश्न मनायें। सभी को ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद!