आप की बात: झारखंड को जोहार- परमानंद प्रसाद

Aap ki baat

धरती आबा की जिस माटी का
हरियाली ने खुद किया श्रृंगार,
भारत के उस राज्य को मिला है
प्रकृति के वरदानों का उपहार, 
ये है झारखण्ड, झारखण्ड को जोहार। 

जंगलों पहाड़ो की ये धरती बनी
सखुआ,महुआ जैसे पेड़ों से घिरी,
आंखों को एक सकून सा मिलता
निहार, रचना का सुन्दर संसार,
ये है झारखण्ड, झारखण्ड को जोहार।

मांदर ताल नाचतीं इसकी ज़वानी
बांसुरी की धुन थिरके जैसे रवानी,
सजाकर के छोटा घर-बार अपना
प्रकृति के संग-संग मनाते त्योहार,
ये है झारखण्ड, झारखण्ड को जोहार।

करमा, मंडा में मिलजुल नाचते-गाते
सरहुल, फगुआ सभी मिल मनाते,
जंगल का साथ नहीं छोड़ा कभी
सबलोगों का जो है अपना परिवार,
ये है झारखण्ड, झारखण्ड को जोहार।

खनिजों सम्पदा का भंडार हैं भरे
प्राकृतिक धन-धान्य से है भरे-पूरे,
दामोदर नदी का यहीं होता उद्गम
रखा जिसने पेट में कोयला भंडार,
ये है झारखण्ड, झारखण्ड को जोहार। 

वादियों में इसकी झरने हैं बिखरे
बहे जा रहें हैं जो कल-कल करते,
पानी से भरे कई बांध हैं यहां पर
बिजली बनने की सम्भावना अपार,
ये है झारखण्ड, झारखण्ड को जोहार।

बासुकी के नाथ, है बाबाधाम यहां
रजरप्पा मां, हरिहरनाथ भी बसा,
शंकर जी तो जैसे यहीं आन बसे
जहां बिरसा का हुआ था अवतार,
ये है झारखण्ड, झारखण्ड को जोहार।

संथाली, मुन्डा़री है प्रमुख भाषाएं
इनके लोकगीतों में इनकीं आशाएं,
तान और राग छेड़ जब भी ये गाते
झुम उठती धरती देख इनका प्यार,
ये है झारखण्ड, झारखण्ड को जोहार।

माटी है शहीदों की ये वीरों से भरी
प्रतिमा अलवर्ट एक्का की है तनी,
सरहद पर इसके बेटे पहरेदारी में
दुश्मन कांपते सुन जिनका हुंकार,
ये है झारखण्ड, झारखण्ड को जोहार।

खेल-कूद में यहां सभी आगे रहते
विश्वस्तर भी अपना प्रदर्शन करते,
महेन्द्रसिंह धोनी की भी यही मिट्टी
विश्व में किया, झारखंड का प्रचार,
ये है झारखण्ड, झारखण्ड को जोहार।

देश की शान में है इसका योगदान
पूर्ति कर खनिज की बढ़ाते हैं मान,
शांति,यहां के वासी के व्यवहार मे
न छेड़ो तो नहीं बदलते हैं संस्कार,
ये है झारखण्ड, झारखण्ड को जोहार।

भविष्य भी ऐसी रहे है जिम्मेदारी
खदानों, खोह की हो वापस भराई,
सिर्फ खनिज निकाल न करें बदसूरत
झरिया की ही तरह न छोड़ें लाचार,
ये है झारखण्ड, झारखण्ड को जोहार।

 

 

परमानंद प्रसाद
सेवानिवृत्त सीसीएलकर्मी, रांंची

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