‘कैच द रैन’ के तहत जिला स्तरीय जल संवाद कार्यक्रम का हुआ आयोजन

कोडरमा: संस्था समर्पण एवं नेहरू युवा केंद्र की ओर से स्थानीय होटल सेलिब्रेशन में कैच द रैन फेज 3 के तहत जिला स्तरीय जल संवाद कार्यक्रम किया गया।  वहीं इस अवसर पर समर्पण के सचिव इन्द्रमणि साहू के द्वारा रचित पुस्तक स्मृति के गलियारों से एक खूबसूरत पहल का विमोचन किया गया।

मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व जिप अध्यक्ष शालिनी गुप्ता, जिप सदस्य शांति प्रिया, मनरेगा लोकपाल धरनीधर प्रसाद, स्थायी लोक अदालत के सदस्य बालेश्वर राम, वरिष्ठ पत्रकार विनोद विश्वकर्मा, ढिबरा आन्दोलनकारी कृष्णा सिंह घटवार, आरजेएसएस के मनोज दांगी, अधिवक्ता सुमन जायसवाल, अधिवक्ता प्रवीण कुमार सिन्हा, पीएचएफ के श्वेतांक मिश्रा उपस्थित थे।

कार्यक्रम का शुभारंभ पुस्तक का विमोचन के साथ किया गया। मौके पर मुख्य अतिथि शालिनी गुप्ता ने समर्पण के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि प्रकृति ने हमें सबकुछ दिया है, परन्तु आज हम सभी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। जीवन हो या पृथ्वी यहां तीन हिस्सों में पानी है फिर भी, अगली युद्ध पानी के लिए होने की संभावना बढ़ रही है। उन्होंने सभी को पानी और प्रकृति के संरक्षण के लिए अपनी भूमिका सुनिश्चित करने की बात कही।

जिप सदस्य शांति प्रिया ने कहा कि आज सुखाड़ की स्थिति है। पर्यावरण खतरे में हैं। हम सभी सरकार पर डिपेंड हो रहे हैं, यह गलत है। सामूहिक प्रयास और सहजर जीवन से ही हम अपनी जिन्दगी खुशहाल बना सकते हैं।
लोकपाल धरनीधर प्रसाद ने कहा कि जल, जंगल, जमीन, जानवर और जज्बात बचाने की जरुरत है। जीवन को संवारने के लिए प्रकृति के साथ जीना होगा। उन्होंने कहा कि विकास और सुविधा के नाम पर हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

मुखिया शिवशंकर राय ने कहा कि हम गांव को बदल सकते हैं। जरुरत है एक अच्छी मंशा, अच्छी नियत और श्रद्धाभाव से एक अच्छे प्रयास की। सामूहिक प्रयास, भागीदारी और जिम्मेदारी से हमारा बंगाखलार पंचायत का दृश्य बदल रहा है। उन्होंने कहा कि ग्राम सभा को मजबूत कर हम गांव को आगें ले जाने के लिए हमेशा कटिबद्ध हैं। हम स्थानीय संस्थाओं की मदद से भी गांव को बदलने में सहायता मिल रही है।

अधिवक्ता प्रवीण कुमार सिन्हा ने कहा कि संकट की स्थिति से बचने के लिए हमें जागना होगा। दिनचर्या को बदलना पड़ेगा। उन्होंने पनसोखा बनाने पर बल दिया।

पत्रकार विनोद विश्वकर्मा ने कहा कि दुनिया की सारी सभ्यताओं का विकास नदियों और नालों के आसपास हुआ है और आज हम नदियों और पहाड़ों को भर रहे हैं, काट रहे हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा एक महत्वाकांक्षी योजना है। यदि दो साल इस योजना का सही-सही क्रियान्वयन हो जाय तो फिर पूरा जिला और क्षेत्र का पूरी तरह से कायाकल्प हो जायेगा।

मनोज दांगी ने कहा कि सचेत रहते हुए कुछ करने और अपनी भूमिका निभाने और एक उदाहरण बनने का वक्त आ गया है। उन्होंने कहा कि मंशा सही हो तो संसाधन आड़े नहीं आती है।

पीएचएफ के श्वेतांक मिश्रा ने कहा कि देशज ज्ञान और विज्ञान को हम लगातार नकार रहे हैं। जिसका खामियाजा हम सभी भुगत रहे हैं। शहरीकरण, उद्योगीकरण जैसे-जैसे बढ़ रही है वैसे-वैसे हम विनाश के तरफ बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीवन और प्रकृति से तालमेल बैठाते हुए विकास की परिभाषा को गढ़ना पड़ेगा। उन्होंने धान के साथ-साथ मौटे अनाज को लगाने पर बल दिया।

विषय प्रवेश संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू एवं धन्यवाद ज्ञापन सवेरा के अशोक कुमार सिंह ने किया। मौके पर संस्था के प्रयास से हुए बदलाव पर आधारित दो फिल्म भी प्रदर्शित किया गया। जिसे लोगों ने खूब सराहा।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से शिक्षक सुभाष चन्द्र, नेहरू युवा केंद्र प्रकाश कुमार यादव, प्रशांत कुमार, सुबोध कुमार यादव, संजय पासवान, बीस सूत्री के उपाध्यक्ष अनंत मेहता, स्वाधार गृह की अधीक्षक पूनम साहू, उमेश कुमार, बिमला देवी, अनीता कुमारी, द्रोपदी देवी, कृषक राम किसुन सुंडी, विनोद कुमार, राजेश कुमार, राजेंद्र राम, आदर्श फाउंडेशन के सुरेन्द्र कुमार त्रिपाठी, कृषक राम चन्द्र महतो, मुखिया सीता देवी, हैण्ड इन हैण्ड के तुलसी कुमार साव, लीड्स के संतोष कुमार, जीतेन्द्र कुमार सिंह, मानती कुमारी, निलेश कुमार, प्रीती गुडिया मुर्मू, चंचला देवी, प्रभाकर कुमार, नूतन कुमारी सहित कई लोग मौजूद थे।

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