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Diwali 2022: कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि को प्रकाशोत्सव दीपावली मनाई जाती है। हिंदू धर्म में दीपावली बड़ा त्योहार है। मान्यता है कि इस दिन ही मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। दीपावली पर पूरे विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वहीं यह भी मान्यता है कि प्रभु श्रीराम रावण वध और लंका पर विजय पाकर 20 दिनों के उपरांत अयोध्या वापस लौटे थे। उनके अभिनंदन में अयोध्या के लोगों घी के दिये जलाकर खुशियां मनाई थीं। इसलिए दशहरा के 20 दिनों बाद दीपावली का उत्सव मनाया जाता है।

ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा

सुबह घर और पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करें। शाम को पूजा स्थल पर चौकी रख लाल कब्जा बिछाकर लक्ष्मी-गणेश की नयी मूर्ति रखें। मां लक्ष्मी और सिद्धि विनायक गणेश की अराधना के साथ सभी देवी-देवताओं का आव्हान करें। मूर्तियों पर तिलक लगाकर दीप प्रज्जवलित करें। जनेऊ, मौली, हल्दी, अक्षत, फल-फूल अर्पित कर पूजा करें। लक्ष्मी-गणेश की पूजा के उपरांत भगवान विष्णु, मां सरस्वती, मां काली और कुबेर की भी पूजा करनी चाहिए। यह शुभ फलदायक माना जाता है। घर के तिजोरी और व्यवसायिक संसाधनों के समक्ष और घर के मुख्य द्वार पर दीप जरूर जलाना चाहिए।

Diwali 2022- जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से 8 बजकर 16 मिनट तक है।लक्ष्मी पूजन की अवधि 1 घंटा 21 मिनट है।
प्रदोष काल शाम 5 बजकर 42 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक है। वृषभ काल 6 बजकर 54 मिनट से रात 8 बजकर 50 मिनट तक है।

मां लक्ष्मी की आरती

ऊँ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊँ जय लक्ष्मी माता।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊँ जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊँ जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊँ जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊँ जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊँ जय लक्ष्मी माता।।

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊँ जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊँ जय लक्ष्मी माता।।

ऊँजय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊँ जय लक्ष्मी माता।।

 

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