रामगढ़: पतरातू प्रखंड अंतर्गत लपंगा पंचायत के चौकियाटांड़ में इन दिनों तरबूज की फसल लहलहा रही है। हरे-भरे पौधों पर लग रहे पीले-पीले फूल अच्छी फसल आने का संकेत दे रहे हैं। डेढ़ से दो माह में यहां खेत तरबूजों से पटे दिखेंगे। पास ही आम के सैकड़ों पेड़ पर छाए मंजर भी लहराते हुए गर्मी के मौसम का स्वागत करने को बेताब हैं।

कुछेक साल पहले यहां बंजर पड़े कई एकड़ परती टांड़ को मेहनत के बूते युवा किसानों ने खेत में तब्दील कर दिया है। यहां भारी प्रदूषण और धूल-गर्द के बीच हरियाली की बड़ी लकीर खींचने की जद्दोजहद देखने को मिल रही है। इस बार चौकियाटांड़ में उमेश बेदिया एक एकड़, जगदीश बेदिया डेढ़ एकड़ और सुनील उरांव लगभग सवा एकड़ में तरबूज की खेती कर रहे हैं।

बीते वर्ष उमेश बेदिया ने तरबूज की पहली फसल लगाकर अच्छा मुनाफा कमाया था। उन्होंने अन्य साथियों को भी इसके लिए प्रेरित किया। इस बार जगदीश बेदिया और सुनील उरांव ने तरबूज की खेती में हाथ आजमाते बेहतर फसल हासिल की है। किसानों को पूरी उम्मीद है कि तरबूज का अच्छा उत्पादन होगा।

किसान उमेश बेदिया ने बताया कि उनके बुजुर्ग रिश्तेदार धनेश्वर बेदिया ने उन्हें कृषि में रोजगार तलाशने के लिए प्रेरित किया। धनेश्वर बेदिया सीसीएल सेवानिवृत्ति के बाद लंबे समय से फलों की खेती में जुटे हुए हैं। उनके मार्गदर्शन में दो वर्ष पूर्व यहां टांड़ को खेत में तब्दील किया और खीरे की खेती से शुरूआत की। अच्छी कमाई के बाद मन खेती-बाड़ी में ही रम गया है। यह देख अच्छा लगता है कि अन्य साथी भी इस ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

वहीं जगदीश बेदिया बताते हैं कि उमेश बेदिया के कहने पर पहली बार तरबूज की फसल लगाई है। फसल की अच्छी वृद्धि हो रही है। उन्होंने बताया कि खेत के ठीक बगल उनका आम का बागीचा है। पांच वर्ष पूर्व आम के सैंकड़ों पेड़ लगाए थे। बीते वर्ष आगजनी से कई पेड़ नष्ट हो गए।  फिलहाल 112 पेड़ बचे हैं और मंजर काफी अच्छा लगा है। पेड़ों पर लगे आम ज्यादातर चोरी हो जाते हैं। पैसों की तंगी के कारण बगीचे का बाड़ा तैयार नहीं हो सका है। 

युवा किसान सुनील उरांव बताते हैं कि लगभग सवा एकड़ में इस बार तरबूज की खेती कर रहे हैं। इसके साथ ही तकरीबन 10 डिसमिल में नेट हाउस फार्मिंग कर शिमला मिर्च के पौधे लगाए हैं। प्रदूषण से थोड़ी बहुत समस्या हो रही है। फिर भी मेहनत जारी है और फसल की अच्छी ग्रोथ देख हौसला बढ़ा हुआ है। 

वयोवृद्ध किसान और सेवानिवृत्त सीसीएल कर्मी स्थानीय धनेश्वर बेदिया से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कृषि में सही जानकारी के अभाव में नुकसान होता है और मनोबल टूटता है। खेती में मेहनत और फसल की देखभाल जरूरी है। कहा कि सरकार को चाहिए कि युवा को कृषि के लिए न सिर्फ जागरूक करें बल्कि स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण भी सुनिश्चित करें। खेती के क्षेत्र में आना चाह रहे युवाओं के लिए पूंजी भी एक बड़ी समस्या है। आमलोगों को कृषि से संबंधित योजनाओं की जानकारी ही नहीं है। 

 

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