बड़कागांव: भारत भारती विद्यालय उरीमारी में सुभाष चंद्र बोस की 127 वीं जयंती मंगलवार को मनाई गई। विद्यालय के सचिव, शैक्षणिक निदेशक, प्राचार्य एवं शिक्षकों के द्वारा सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर पर पुष्पांजलि देकर उन्हें याद किया गया।

मौके पर विद्यालय के सचिव गोपाल यादव ने कहा कि भारतीय इतिहास में सुभाष चंद्र बोस एक सबसे महान व्यक्ति और बहादुर स्वतंत्रता सेनानी में से एक थे। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। उनके पिताजी कटक शहर के मशहूर वकील थे। सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ उन्होंने ने ही हमारे भारत को यह नारा दिया जिससे भारत के कई युवा वर्ग भारत से अंग्रेजों को बाहर निकालने की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित हुए। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में जुड़ने के लिए 1921 में असहयोग आंदोलन के द्वारा जुड़ गए थे।

उन्होंने कहा कि 12 सितंबर 1944 में रंगून के जुबली हॉल में शहीद यतींद्र दास की स्मृति दिवस पर सुभाष चंद्र बोस है अत्यंत मार्मिक भाषण देते हुए कहा था कि अब हमारी आजादी निश्चित है, परंतु आजादी बलिदान मांग की है आप मुझे खून दो मैं आपको आजादी दूंगा। यही देश के नौजवानों में प्रेरणा फूटने वाला वाक्य था जो भारत में नहीं विश्व के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया गया है।

विद्यालय के प्राचार्य ने सुभाष चंद्र बोस के योगदान के बारे में बच्चों को बताया। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष एवं आजाद हिंद फौज के गठन में उनकी भूमिका के बारे में चर्चा की।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से विद्यालय के सचिव गोपाल यादव, निदेशक अनिमेष यादव, अभिषेक यादव, प्राचार्य माहे आलम अंसारी, अर्जुन साव, नवीन पाठक, रंजीत कुमार, ललन कुमार, रंजीत महतो, शिव कुमार, सरिता गया सेन, रितु कुमारी, अनिता, राधिका, रेणु, प्रियंका सिंह सहित कई लोग मौजूद थे।

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