दो दिवसीय अधिवेशन में कई सामाजिक मुद्दों पर चर्चा

रामगढ़: संथाल समाज दिशोम मांझी का दो दिवसीय पांचवां केंद्रीय महाधिवेशन मंगलवार को भुरकुंडा क्षेत्र के रीवर साइड स्थित ऑफिसर्स क्लब में आयोजित किया गया। जिसमें झारखंड के विभिन्न जिलों के लगभग 500 डेलीगेट्स सहित सैकड़ो महिला और पुरुष शामिल हुए। अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि दिशोम मांझी हड़ाम सह दर्जा प्राप्त मंत्री फागू बेसरा मौजूद रहे।

Central convention of Santhal Samaj Dishome Manjhi Pargana organized in Bhurkunda

महाधिवेशन का शुभारंभ मुख्य अतिथि फागु बेसरा ने स्वतंत्रता संग्राम के वीर शहीद सिद्दो-कान्हू, चांद-भैरव और बाबा तिलका मांझी की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलित कर किया। इस दौरान कार्यक्रम स्थल पर नगाड़ों की थाप के बीच सखुआ का डाल भी गाड़ा गया।

कार्यक्रम की शुरुआत मंचासीन मुख्य अतिथि दिशोम मांझी हड़ाम फागु बेसरा को शॉल ओढ़ाकर, बैज लगाकर और बुके देकर अभिनंदन किया गया। वहीं अध्यक्ष मंडली में शामिल आरडी हंसदा, पतिलाल मरांडी, गहन बेसरा, मुर्सिंगलाल हंसदा, संजय कुमार टुडू, एतो बास्के, महेश मुर्मू, रमेश हेंब्रम, कंदो मरांडी, रामचंद्र हंसदा, मोहन हेंब्रम, पतिलाल मरांडी को बुके देकर और बैज लगाकर सम्मानित किया गया। महाधिवेशन के संचालन मंडली में सोनाराम मांझी, रतिलाल मरांडी, विरेंद्र मांझी, विजय सोरेन, सन्नी बेसरा, पन्नालाल मुर्मु, सन्नी सोरेन, सूरज बेसरा, शंकर मुर्मू, कैलाश टुडू, सहदेव किस्कू, रूपन मुर्मू, महेंद्र मुर्मू, जीतलाल टुडू शामिल रहे।

समाज के लोगों को एकजुट और अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास: फागु बेसरा

अध्यक्षीय भाषण देते हुए फागु बेसरा ने समाज के लोगों का अधिवेशन में स्वागत करते हुए कहा आज महाधिवेशन में समाज के लोगों की बड़ी संख्या में उपस्थिति बता रही है कि समाज के लोग सामाजिक उन्नति के लिए गंभीर और तत्पर हैं। कहा कि समाज के लोगों को जागरूक होना होगा। अपने हक और अधिकार के लिए एकजुटता के साथ बढ़ना होगा। समाज की प्रगति में बाधक कु-प्रथाओं से अब मुक्ति पाने की जरूरत है। हमें अपनी समृद्ध संस्कृति, अपने उत्कृष्ठ रीति रिवाजों का निश्चित रूप से पालन करना होगा। आगे उन्होंने कहा कि हमें समाज की बाहरी और आंतरिक दोनों समस्याओं का मिलजुलकर समाधान करना है। हमारे जल-जंगल और जमीन की रक्षा कैसे हो इसपर गंभीर होना होगा और एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।

Central convention of Santhal Samaj Dishome Manjhi Pargana organized in Bhurkunda

अधिवेशन में राजनैतिक, सामाजिक और धार्मिक प्रस्ताव पर हुई चर्चा

अधिवेशन के पहले दिन राजनैतिक प्रस्ताव, सामाजिक प्रस्ताव और धार्मिक प्रस्ताव पर चर्चा की गई। राजनीतिक प्रस्ताव में मुख्य रूप से सरना धर्म कोड लागू करने, संथाली भाषा को झारखंड की राजभाषा घोषित करने, संथाल भाषा ओलचिकी लिपी की पढ़ाई हेतु शिक्षक की नियुक्ति करने, पेशा कानून लागू करने, गैर आदिवासी द्वारा बहला-फुसलाकर आदिवासी समाज की लड़की से शादी करने पर, भूमि, आरक्षण और राजनैतिक पद पर रोक लगाने, जाहेरथान सरना स्थल की चहारदीवारी निर्माण कराने, प्रत्येक संथाल गांव में शादी और अन्य समारोह के लिए सामुदायिक भवन बनाने सहित अन्य प्रस्ताव पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे। वहीं सामाजिक और धार्मिक प्रस्तावों में प्रत्येक मांझी अखाड़ा में मांदर (तुमदा), डुगडुगिया (टमका) अनिवार्य रूप से रखना, सामाजिक त्योहारों में पंची धोती और पंची साड़ी की वेशभूषा में रहना, मांझी बाबा के द्वारा सभी संथाल गांव में ओलचिकी लिपि की पढ़ाई अनिवार्य कराना, सभी संथाली घरों में तीर-धनुष अनिवार्य रूप से रखना, सोहराय-मकर संक्रांति हर वर्ष 09 जनवरी से 14 जनवरी तक मनाना, बाहा पर्व चैत्र प्रथम पक्ष के प्रथम तिथि को मनाना, सभी संस्कार संथाली धार्मिक रीति रिवाज के साथ मनाना सहित अन्य प्रस्ताव रखे गए। बताया गया कि अधिवेशन के सभी प्रस्तावों पर चर्चा के बाद दूसरे दिन जो प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास होंगे उसकी घोषणा की जाएगी

व्यवस्थापक समिति में इनका रहा योगदान

केंद्रीय महाधिवेशन की व्यवस्थापक समिति में सन्नी बेसरा, सोनाराम हेंब्रोम, वीरेंद्र हंसदा, भुनेश्वर मुर्मू, शंकर मुर्मू, लाल बिहारी हेंब्रोम, मनोज हेंब्रोम, अनिल हेम्ब्रोम, सुनील मुर्मू, धनीराम टुडू, रंजीत मांझी, सन्नी सोरेन, राजू बेसरा, लाल बहादुर मांझी, विनोद हेम्ब्रोम, महेश हेम्ब्रोम, राजकुमार मांझी,बिरसा टुडू, अजय बेसरा, पप्पू लाल टुडू, रमेश मुर्मू, रविंद्र सोरेन, रामकुमार सोरेन, महावीर मांझी, विजेंद्र सोरेन सहित अन्य ने योगदान दिया।

अधिवेशन में पहले दिन ये हुए शामिल

केंद्रीय अधिवेशन के पहले दिन सूरज बेसरा, मोहन सोरेन, सन्नी सोरेन, बिनोद हेम्ब्रोम, बहादुर मांझी, अजय बेसरा, महाबीर मुर्मू, संजय कुमार टुडू, विश्राम सोरेन, पोटंगा पंचायत के उप मुखिया रविन्द्र सोरेन, महादेव मांझी, सीता राम किस्कू, मोहन मांझी, बिरसा टुडू, सुकर मांझी, राजेन्द्र सोरेन, अघनू मांझी, बिरसा हेम्ब्रोम, राजेन्द्र टुडू, पप्पु मांझी , जुगल सोरेन, जितेन्द्र सोरेन, प्रेम सोरेन, लेचा मांझी, राजू मांझी, दिनेश्वर सोरेन, महादेव मांझी, बब्लू मुर्मू, संजुल सोरेन, रामसेवक हंसदा

सुकर मांझी, लालजी हंसदा, दिनेश सोरेन, लेचा मांझी, महावीर मांझी, किरण मांझी, सुखदेव टुडू, राम किशुन मुर्मू, अशोक मांझी, रमेश सोरेन, उमेश मांझी, अघनु मुर्मू, बुधन मुर्मू, विमल टुडू, भुनेश्वर मांझी, रवि मुर्मू, तालो मांझी, किसान मुर्मू, श्याम मरांडी, तालो किस्कू, विश्राम टुडू, राजेश मुर्मू, सुखदेव हंसदा, महेश टुडू, देवन मरांडी, राजेश कुमार हंसदा, दसई किस्कू, लुसा मरांडी, रूपन मुर्मू, दिनेश बेसरा, बैजु मुर्मू, छोटन मुर्मू, सीता राम मांझी, रामकुमार हेम्ब्रोम, रामना मांझी, सुरेश मुर्मू, जगदीश मांझी, विजय सोरेन, सतीश हेम्ब्रोम, बबलू हेम्ब्रोम, मिहीलाल मांझी, बहाराम मांझी, बंसीलाल मुर्मू, बबलू मुर्मू, सुखदेव हंसदा, मनोज सोरेन, दिलीप हंसदा, संजय मरांडी, जगदीश मांझी, चारों हेम्ब्रोम, राजेंद्र सोरेन, सुरेंद्र हंसदा, दसई टुडू, राकेश मुर्मू, मोतीलाल मांझी, महादेव मांझी, जितेंद्र सोरेन, किशुन मांझी, धनीराम किस्कू, चेतलाल हेम्ब्रोम, अनिल मुर्मू सहित कई उपस्थित रहे। 

 

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