रांची: मरांग बुरू संस्थान की बैठक शनिवार को राज्यकीय अतिथिशाला सभागार रांची में हुई। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि दर्जा प्राप्त मंत्री, झारखंड सरकार सह झारखंड राज्य समन्वय समिति सदस्य फागु बेसरा शामिल रहे। अवसर पर झारखंड सहित उड़ीसा के विभिन्न जिलों से संथाल समाज के बुद्धिजीवी उपस्थित रहे। बैठक के दौरान धार्मिक स्थल मारंग बुरू के संरक्षण को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। 

बैठक को संबोधित करते हुए फागु बेसरा ने कहा कि मरांग बुरू (पारसनाथ) संथाल आदिवासियों के धर्म स्थल को कस्टमरी राइट्स के तहत पूजा-अर्चना, शिकार सेन्दरा, लॉ-बीर बैसी परंपराओं और संवैधानिक मालिकाना अधिकार को संरक्षित करना है। कहा कि संथाल आदिवासियों का धार्मिक स्थल मरांग बुरू आदिकाल से संथाल जनजातियों का ईश्वर देवता मरांग बुरू पवित्र पूजा स्थल युग जाहेर, मांझीथान एवं पर्वत को ईश्वर के रूप में पूजते हैं। भारत एवं विश्व के संथाल आदिवासी वैशाख पूर्णिमा के दिन तीन दिनों का धार्मिक शिकार सेन्दरा उत्सव मनाते हैं और लॉ बीर बैसी दोरबार एवं सुप्रीम एसेम्बली का आयोजन करते हैं। जिसमें माँझी परगनैत या अन्य कोई विषय मामले का सुनवाई होता है।

फागु बेसरा ने ऐतिहासिक तथ्यों और न्यायालय में वाद पर दिये गये निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि कहा कि जैन समुदाय के द्वारा तरह-तरह के षड़यंत्र कर सम्पूर्ण मरांग बुरू पारसनाथ पहाड़ पर अपना दावा समय-समय पर केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं न्यायपालिका को गुमराह कर किया जाता रहा है। जबकि धार्मिक स्थल मारंग बुरू पर संथाल समाज का मालिकाना हक है। 

मौके पर मुख्य रूप से डीएन मांझी, शंकर सोरेन, सोनाराम मांझी, सुधीर बास्के, दिलीप मुर्मू, हेंगामुनी मुर्मू, राजेन मुर्मू, सानु मदन सोरेन, बिनोद हेम्ब्रोम, अजय बेसरा, मगु किस्कू, प्रदीप सोरेन, दुर्गा सोरेन, राकेश मुर्मू, रामलाल मुर्मू, दुखिया सोरेन, सचिन किस्कू, राज मरांडी, बाबूराम मरांडी, रतिलाल टुडू, भुनेश्वर किस्कू, महालाल सोरेन, हीरालाल मांझी, विष्णु किस्कू, विजय टुडू, महेश्वर मुर्मू, गोरु गोबिंद, शिबू मुर्मू, बंशीलाल मांझी, लखी राम मांझी, भगवान किस्कू, रामकिशोर मुर्मू, पन्नालाल मुर्मू, आनंद मुर्मू,एतवारी हेम्ब्रोम, बब्लू सोरेन, चंदोलाल टुडू, दूधलाल बेसरा, बुधन बेसरा सहित कई लोग मौजूद थे।

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