कलशयात्रा में हजारीबाग लोकसभा सांसद मनीष जयसवाल और मांडू विधायक हुए शामिल
हजारीबाग: विष्णुगढ़ के जमुनिया नदी उत्तरवाहिनी स्थित हनुमान धारा में श्री श्री 1008 सात दिवसीय भगवान सूर्य सह हनुमंत प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ का शुभारंभ हुआ। अवसर पर 3100 कलशों की यात्रा निकाली गई। बतौर मुख्य अतिथि हजारीबाग लोकसभा के सांसद मनीष जयसवाल एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में मांडू विधानसभा के विधायक निर्मल महतो उर्फ तिवारी महतो शामिल हुए। गाजे-बाजे के साथ कलशयात्रा हनुमान धारा से करोंज मोड़, हॉस्पिटल चौक, सात माइल चौक, रमुआ देवी मंडप, कसेरा मोहल्ला, बोलियागंज होते हुए पुनः उत्तरवाहिनी जमुनिया नदी से जल उठाकर यज्ञ मंडप स्थल पहुंचा। इस दौरान कलश यात्रियों ने करीब 8 किमी दूरी तय किया। कलश यात्रा में विष्णुगढ़, कुसुंभा, चेडरा, नवादा और बेड़ाहरियारा पंचायत के विभिन्न गांवों के करीब 10 हजार लोग जिसमें महिलाएं, युवा, बुजुर्ग और बच्चे भक्ति भाव में लीन होकर हाथों में भगवा ध्वज लहराते हुए नाचते-झूमते और भक्ति में लीन होकर कदम मिलाकर चल रहे थे।
इस आयोजन में नवनिर्मित सूर्य भगवान के भव्य मंदिर एवं ऐतिहासिक तकरीबन 400 वर्ष से भी पूर्व में कुसुंभा रियासत के तत्कालीन जमींदार महंत घराने के महंत मोहन दास के द्वारा स्थापित हनुमान मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
मौके पर मांडू विधानसभा सांसद प्रतिनिधि द्वारिका सिंह उर्फ खोखा सिंह, हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद मीडिया प्रतिनिधि रंजन चौधरी, विष्णुगढ़ पश्चिमी मंडल सांसद प्रतिनिधि रविन्द्र कुमार वर्णवाल उर्फ दीपू भाई, पश्चिमी मंडल अध्यक्ष किशोर कुमार मंडल, मधुसुदन प्रसाद, दीपू अकेला, सुनील अकेला, राजू श्रीवास्तव, गौतम भारती, राजेश सोनी, यज्ञ समिति के रामेश्वर सिंह, आनन्द राम, नवलकिशोर वर्मा, विनोद सिंह, अजय कुमार, अजय साव, शंकर गोस्वामी, प्रयाग सोनी, त्रिवेणी स्वर्णकार, जगदीश स्वर्णकार, युगल स्वर्णकार, बबलू सिंह, राजेन्द्र प्रसाद सिंह, सुरेश भगत, मोहनलाल बर्णवाल, गुरु प्रसाद साव, अनुज सोनी, अशोक कुमार गुप्ता, जुगल स्वर्णकार, शेखर सुमन, चमारी नायक, अनुज चंद्रवंशी, अजय बरनवाल, बच्चन राम, भीम राम, बिनोद सिंह, हेमलाल साव, पुरण प्रसाद साव, निर्मल कुमार, शशि लहकार, प्रकाश सिंह, बबीता बरनवाल, दीपा बरनवाल, प्रमोद साव समेत भारी संख्या में स्थानीय गणमान्य एवं जनप्रतिनिधिगण शामिल रहे।
बता दें कि नवनिर्मित सूर्य मंदिर एवं हनुमान मंदिर स्थल इतिहास के दौर से ही हनुमान धारा के नाम से प्रचलित है। कहा जाता है कि हनुमान मंदिर की वास्तविक मूर्ति स्वयं जमुनिया डैम के बीच से प्रकट हुई थी, तब वहां डैम का निर्माण नहीं हुआ था। जहां मूर्ति प्रकट हुई थी उसी जगह महंत मोहन दास के द्वारा सर्वप्रथम मंदिर का निर्माण किया गया था। बीतते समय के साथ 1954-55 में उक्त स्थल को तत्कालीन जमींदार महंत घराने के महंत बासुदेव दास के द्वारा जमुनिया डैम निर्माण हेतु तकरीबन 56 एकड़ जमीन दान दी गई और मंदिर का स्थान बदल कर वर्तमान स्थल में 1955 में निर्माण कराया गया। नदी की धारा के बीच से स्वयं प्रकट हुई मूर्ति के वजह से ही हनुमान धारा का नाम दिया गया। 11 अक्टूबर 2020 को हनुमान मंदिर की वास्तविक मूर्ति खंडित कर दी गई थी, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा आज नवनिर्मित सूर्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ हो रही है।