सीसीएल की बंद पड़ी सौंदा ‘डी’ परियोजना को पुनः चालू करने की कवायद तेज |
• सेकेंड फेज में 148 मिलियन टन कोयले का होगा उत्पादन, लगभग 25 वर्षों तक कोलियरी का होगा संचालन
रामगढ़: सीसीएल बरका-सयाल प्रक्षेत्र की बंद सौंदा ‘डी’ परियोजना को पुन: चालू करने कवायद तेज हो गई है। फोरेस्ट क्लीयरेंस को लेकर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय से डीआईजी फोरेस्ट शशि शंकर पाठक (IFS) ने शुक्रवार को सौंदा ‘डी’ परियोजना का निरीक्षण किया। इस दौरान असिस्टेंट सुरजीत पंडा, डीएफओ रामगढ़ नीतीश कुमार, सीसीएल बरका-सयाल महाप्रबंधक अजय कुमार, सौंदा ‘डी’ परियोजना पदाधिकारी रामेश्वर मुंडा सहित अन्य मौजूद रहे।
डीआईजी फोरेस्ट शशि शंकर पाठक ने ऑफिसर कॉलोनी के निकट बंद अंडरग्राउंड माइंस सहित बंद चानक खदान के आसपास के क्षेत्र का अवलोकन किया। इस दौरान सीसीएल के अधिकारियों से बातचीत करते हुए उन्होंने कई जानकारियां भी लीं।
निरीक्षण के बावत बताया जाता है कि 99.69 हेक्टेयर डायवर्सन लाइन पर फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए सीसीएल की ओर से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को कंप्लायंस दिया गया था। जिसे लेकर डीआईजी फोरेस्ट ने निरीक्षण किया है। इसके आधार पर वे अपनी ऑब्जर्वेशन रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेंगे। क्लीयरेंस मिलने के बाद सौंदा ‘डी’ कोलियरी का सेकेंड फेज चालू करने के लिए सीटीओ, सीटीई और माइनिंग परमिशन पाने की कवायद शुरू होगी।
जानकारी के अनुसार सौंदा ‘डी’ के सेकेंड फेज में रेवेन्यू शेयरिंग प्रोजेक्ट के तहत माइनिंग कंपनी लगभग 148 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करेगी। तकरीबन 25 वर्षों तक कोलियरी का संचालन होगा।