उरीमारी (हजारीबाग): सिद्दो-कान्हू चौक उरीमारी में स्वतंत्रता सेनानी सिद्दो-कान्हू की 210वीं जयंती मनाई गई। जिसका नेतृत्व विस्थापित नेता सह अबुआ संथाल समाज भारत दिशोम के केन्द्रीय महासचिव दसई मांझी ने किया। अवसर पर दसई मांझी सहित ग्रामीणों ने सिद्धों कान्हू की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया।

मौके पर दसई मांझी ने कहा कि संथाल विद्रोह के प्रणेता सिद्दो का जन्म आज के दिन 1815 को हुआ था। सिद्धो सभी भाई-बहनों में बड़े थे। सिद्धों-कान्हू ने आदिवासी और गैर आदिवासी को आजाद कराने के लिए ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ क्रांति में अहम भूमिका निभाई थी। सिद्दो-कान्हू की अगुवाई में 30 जून 1855 को भोगनाडीह से क्रांति की शुरुआत हुई। जिसमें हजारों आदिवासी शहीद हुए थे।

मौके पर मुख्य रूप से कृष्णा सोरेन, तालो हंसदा, प्रदीप हंसदा, परमेश्वर सोरेन, सोलेन हंसदा, बिनोद सोरेन, मनोज सिंह, सत्यनारायण बेदिया, जितेन्द्र यादव, हेमलाल बेसरा, सुरेश प्रजापति, बरियत किस्कू, सोमरा पावरिया, नरेश पावरिया, सुरेंद्र करमाली, सुशील सोरेन, दीपक मरांडी, प्रदीप किस्कू, अनिल मुर्मू, अजय साव, प्रदीप रजवार, विजय पावरिया, राजेश कुमार, कामाख्या सोरेन सहित कई लोग मौजूद थे।

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