• डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम की दी गई जानकारी
रामगढ़: पतरातू प्रखंड में पालू पंचायत के किरिगढ़ा सहित अन्य गावों में नुक्कड़ नाटक का आयोजन कर ग्रामीणों को डायन कुप्रथा पर रोकथाम को लेकर जागरूक किया गया। साथ ही डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
इस दौरान नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सभी को जानकारी दी गयी कि यदि कोई भी व्यक्ति जो किसी अन्य व्यक्ति को डायन के रूप में पहचान करता हो और उस पहचान के प्रति अपने किसी भी कार्य, शब्द या रीति से कोई कार्यवाही करें, तो इसके लिए उसे अधिकतम 3 महीने तक की सजा अथवा 1000 रूपये जुर्माने की सजा अथवा दोनों से दण्डित किया जायेगा। यदि कोई व्यक्ति किसी औरत को डायन के रूप में पहचान कर उसे शारीरिक या मानसिक यातना जानबूझ कर प्रताड़ित करता है, तो उसे छह माह की सजा या दो हजार रूपए जुर्माने अथवा दोनों सजाओं से दंडित किया जाएगा।
ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो किसी औरत को डायन के रूप में पहचान करने के लिए समाज के लोगों को उकसाता हो अथवा षडयंत्र रचता हो या उन्हें सहायता देता हो। जिससे उस औरत को हानि पहुंचे, तो तीन महीने तक का कारावास अथवा एक हजार रूपए जुर्माना या दोनों सजा से दंडित किया जाएगा। किसी भी डायन के रूप में पहचान की गयी औरत को जो भी शारीरिक या मानसिक हानि या यातना पहुंचाकर अथवा प्रताड़ित कर झाडफूंक या फिर टोटका द्वारा उसके उपचार के लिए कोई कार्य करता है, तो उसे एक साल की कारावास का सजा अथवा 2000 रूपये तक जुर्माने अथवा दोनों सजा से दण्डित किया जायेगा। इस अधिनियम के सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होते हैं।