jharkhand 'Patratu Valley' fascinates the mind with its unique natural beautyjharkhand 'Patratu Valley' fascinates the mind with its unique natural beauty

Jharkhand Tourism special

पतरातू लेक में बोटिंग का अलग ही है आनन्द 

• पतरातू डैम पर लगा रहता है मेला, बच्चों के लिए पार्क भी है खास

• घाटी की उंचाई पर गुजरती घुमावदार सड़क करती है आकर्षित

Khabarcell.com

रांंची : कहीं मोटर बोट की तेज रफ्तार का रोमांच तो कहीं पारंपरिक नाव में सुकून भरी सैर। कहीं पहाड़ी पर घुमावदार अनोखी सड़क तो कहीं हरी-भरी वादियों का मनोरम नज़ारा। यह है झारखंड का बेहद खूबसूरत टूरिस्ट स्पॉट …पतरातू!

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प्रकृति ने झारखंड को अद्भुत सौंदर्य से नवाज़ा है। प्राकृतिक झरने, हरे-भरे वन, विहंगम घाटियां, खूबसूरत जलाशय सहित अनेक ऐतिहासिक स्थल हैं जो यहां लोगों को आकर्षित करते हैं। राज्य में कई पर्यटन स्थल हैं जो अपनी अलग पहचान रखते हैं। आज बात करते हैं रामगढ़ जिला स्थित पतरातू डैम की जो अब झारखंड के बेहतरीन टूरिस्ट स्पॉट में शुमार है। साथ ही बहुचर्चित और मनोरम पतरातू घाटी का जिक्र भी जरूर करेंगे, जो इन दिनों लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

jharkhand 'Patratu Valley' fascinates the mind with its unique natural beauty

पतरातू लेक (डैम): पानी का विशाल भंडार समेटे पतरातू डैम की पहचान कभी सिर्फ बिजली उत्पादन से ही होती थी। अमूमन सिर्फ एक जनवरी को नये साल पर आसपास के लोग यहां पिकनिक मनाने पहुंचते थे।  लेकिन आज तस्वीर कुछ और है। यहां वर्ष भर सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है। पतरातू डैम को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विस्तृत किये जाने के बाद देश के दूर-दराज के इलाकों से लोग यहा घूमने-फिरने आ रहे हैं। लेक में नौका विहार सैलानियों को खासा आकर्षित करता है।यहां 100 से ज्यादा लगभग पारंपरिक चप्पू नाव और 15 से ज्यादा मोटर बोट हैं। बात किराये की करें तो मोटर बोट 750 ₹ और शिकारा या खुली नाव 300 ₹ में सीट फुल कर आप अपने परिवार के साथ पतरातू लेक का पूरा आनंद उठा सकते हैं। वहीं बच्चों के लिए किनारे सिंगल टॉय बोट भी उपलब्ध है जिसका किराया 50 ₹ है। यहां 50₹ में घोड़े की सवारी का अनुभव भी कर सकते हैं। डैम के किनारे पर साल भर मेले का माहौल लगा रहता है। पास ही पार्क में स्लाइडर और झूलों पर बच्चे मौज-मस्ती करते दिखते हैं। डैम के आसपास ढाबों से लेकर कई होटल और उम्दा रिसोर्ट भी हैं जो आपके सफर को आरामदेह बनाते हैं। सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी पतरातू डैम में नौका विहार अच्छा है। नाविक काफी अनुभवी हैं और विशेषज्ञों द्वारा ट्रेंड भी किये गये हैं। सड़क के ठीक बगल अवस्थित होने और सुगम यातायात के कारण पतरातू लेक सैलानियों की पसंद बनता जा रहा है। झारखंड की राजधानी रांंची से 35 किलोमीटर और रामगढ़ से 32 किलोमीटर दूर यह पतरातू डैम रांंची-रामगढ़ वाया पतरातू मुख्य मार्ग पर स्थित है। नजदीकी स्टेशन पतरातू और बरकाकाना जंक्शन है। सबसे नजदीकी एयरपोर्ट रांंची है।

साईबेरियन पक्षी: पतरातू लेक की खूबसूरती में चार चांद लगाने साईबेरियन पक्षी हर साल सर्दियों में हजारों किलोमीटर का सफर कर पहुंचते हैं। नौका विहार के दौरान बेहद करीब से इन उजले और खूबसूरत पक्षियों को बेहद करीब से देखा जा सकता है। यही नहीं, स्नैक्स के दिवाने इन पक्षियों को अपने हाथों से भी खिला सकते हैं। ये पक्षी करीब आकर आपको प्रकृति और जीव-जंतुओं के बीच के जुड़ाव का एहसास और आत्मीयता का बोध करा जाते हैं।

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पतरातू घाटी: कभी खतरनाक जलेबिया घाटी के रूप में जानी जाती यह घाटी अब खूबसूरत पतरातू घाटी के नाम से न सिर्फ झारखंड बल्कि पूरे देश में मशहूर हो गई है। सांप की कुंडली की तरह अनोखी घुमावदार सड़क और चारो ओर हरियाली अपनी ओर आकर्षित करती हैं। उंची पहाड़ी और गहरी खाई यहां लोगों को काफी लुभाती हैं। राजधानी रांंची से  पिठौरिया के रास्ते पतरातू जाने पर यह घाटी मिलती है। घाटी के उपर लोगों को अक्सर घूमते-फिरते देखा जा सकता है। सड़क के अगल बगल चाय-नाश्ते और खाने-पीने की चीजें मिल जाती है। पतरातू की बढ़ने पर घाटी के नीचे नलकारी नदी मिलेगी। जिसके साफ पानी और एकांत माहौल के कारण यहां नये साल के आगमन पर लोग पिकनिक मनाते दिखते है।

थोड़ा सब्र और…यात्रा का रोमांच बढ़ जाएगा कई गुणा

विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ रजरप्पा में देश-विदेश से श्रद्धालु मां छिन्नमस्तिका के दर्शन करने आते रहते हैं। पतरातू लेक का आनंद और विहंगम घाटी का सौंदर्य सैलानियों को काफी लुभा रहा है। बस थोड़ा सब्र रखें…आप रामगढ़ के सफर पर निकलने से खुदको रोक नहीं पाएंगे। रांंची से कोडरमा वाया बरकाकाना नई रेल लाइन का काम पूरा हो गया है। ट्रेन की स्पीड ट्रायल और सीआरएस निरीक्षण भी हो चुका है। इस रेल रूट पर रामगढ़ की उंची पहाडियों से होते हुए आप चार रेल सुरंग से होकर गुजरेंगे। सांकी से सिधवार स्टेशन तक लगभग 26.2 किलोमीटर के बीच ये चारो सुरंगें पड़ेंगी। उंची पहाडियों से बाहर प्रकृति का शानदार नजारा यकीनन अविस्मरणीय होगा।

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